Add To collaction

ग़ज़ल -12-Apr-2022

غزل
زمانے  کی  تم   کو   پڑے   ہائے   ہائے
ستم   کیسے   تم   نے  کئے  ہائے  ہائے 

ज़माने  कि  तुम को पड़े हाय हाय
सितम कैसे तुम ने किए हाय हाय 

وہ لختِ جگر تھی وہ  نورِ  نظر  تھی
کیا   قتل   ظالم    اسے    ہائے    ہائے 

वो लख्ते जिगर थी वो नूरे नज़र थी
किया  क़त्ल ज़ालिम उसे हाय हाय 

بدن سے جدا کر  دئے  اس  کے  اعضا
حیا  کیوں  نہ آئی   تجھے  ہائے  ہائے 

बदन से जुदा कर दिए उस के आअ़ज़ा
हया  क्यों   ना  आई   तुझे   हाय  हाय 

خبر قتل کی جب سنی  *رابعہ*  کی
تو دل خود بخود کہہ اٹھے ہائے  ہائے 

ख़बर क़त्ल की जब सुनी *राबिया* की
तो  दिल  खुद बखुद कह उठे हाय हाय 

سنا ہے وہ  رہبر  ہی  ظالم  ہیں  نکلے
تو  پھر  ظلم  کیسے  مٹے  ہائے  ہائے 

सुना है वो रहबर ही ज़ालिम हैं निकले
तो  फिर  ज़ुल्म  कैसे  मिटे  हाय हाय 

سکوں  کیسے  پائے کلیجہ وہ ماں کا
یہ  خنجر  غموں  کا  چلے  ہائے  ہائے 

सुकूं कैसे पाए कलेजा वो मां का
ये ख़न्जर ग़मों का चले हाय हाय 

"قمر"  آبرو  اس کی  لوٹی  گئی  جو
یہی  شور   ہر  سو  اٹھے   ہائے  ہائے 

*क़मर* आबरू उस की लूटी गई जो
यही  शोर   हर   सू  उठे   हाय  हाय 

قمر رضا سیفی بریلوی
क़मर रज़ा सैफी बरेलवी



   4
3 Comments

Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI

14-Apr-2022 09:03 PM

Wah

Reply

Gunjan Kamal

12-Apr-2022 02:23 PM

👏👌👌🙏🏻

Reply

Qamar Raza Saifi

13-Apr-2022 08:29 AM

Thanks so much

Reply